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Shiv शिव: देवोका देव महादेव

Shiv शिव देवों के देवमहादेव, जो अनादि और अनंत हैं, वे हैं। प्रत्येक देवी-देवताओं की जन्म कथाएं प्रसिद्ध हैं, किंतु महादेव अजन्मे हैं। यानी कि वे इस सृष्टि के पूर्व से ही विद्यमान हैं, और जब यह सृष्टि समाप्त हो जाएगी, तब भी केवल महादेव ही बचेंगे।

परिचय

Shiv शिव जीवन और मृत्यु, विनाश और पुनर्जन्म के देवता हैं, (वह सब कुछ जो परस्पर विपरीत है, उन्हें कैसे एक किया जा सकता है, यही शिव का रहस्य है।) उनके 1008 विभिन्न नामों के साथ, यह उनके अविवेकी रहस्यों का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में सबसे बड़े देवता के रूप में, शिव को उनके दिव्य परिवार, उनकी अद्वितीय शक्तियों, रूप और लाखों भक्तों के लिए जाना जाता है।

शंकर या महादेव, जो आगे चलकर सनातन शिव धर्म के रूप में जाने जाते हैं, वे सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों में भी एक देवता हैं। उन्हें देवों के देव महादेव भी कहा जाता है। उन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी पुकारा जाता है। तंत्र साधना में उन्हें भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू शिव धर्म में उनका नाम रुद्र है। वे व्यक्ति की चेतना के अंतरात्मा हैं।

Shiv शिव: देवोका देव महादेव
Shiv शिव: देवोका देव महादेव

 

उनकी आराध्या भगवती का नाम पार्वती है। उनके पुत्र कार्तिकेय, अय्यप्पा और गणेश हैं, और पुत्रियां अशोक सुंदरी, ज्योति और मनसा देवी हैं। शिव अधिकांश चित्रों में एक योगी के रूप में दिखाए जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। उनके गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। उनका आवास कैलाश पर्वत पर है। यह शैव मत के आधार पर है। इस मत में शिव के साथ शक्ति को सभी रूपों में पूजा जाता है।

Shiv शिवजीका मुख्य मंत्र:- “ऊँ नमः शिवाय”

कहा जाता है कि पृथ्वी की पूरी शक्ति इस पंचाक्षर मंत्र में ही समाहित है। त्रिदेवों में ब्रह्मा देव सृष्टि के लिए जाने जाते हैं, विष्णु देव पालन के लिए और शिव देव पुनर्निर्माण के लिए। शिव देव की आराधना को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, और उनकी पूजा का विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर किया जाता है, जो साल में एक बार आता है। इस दिन भक्त शिव मंत्रों का जाप करते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और व्रत रखते हैं।

इसके अलावा, Shiv शिव देव के कई पुराण और कथाएं हैं, जिनमें उनके लीलाएं, लीला स्थल, और महत्वपूर्ण घटनाएं विवरणित की गई हैं। इनमें से कुछ मुख्य कथाएं शिव पुराण, रामायण, महाभारत, और पुराणों में पाई जा सकती हैं। यह रूप में, शिव देव का अध्ययन करने के लिए विशिष्ट ग्रंथ और पौराणिक कथाएं मौजूद हैं, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

Shiv शिव: देवोका देव महादेव
Shiv शिव: देवोका देव महादेव

भगवान शिव के विभिन्न नाम

हिन्दू धर्म में भगवान Shiv शिव को अनेक नामों से पुकारा जाता है। यह नाम उनकी विशेषता और गुणों को प्रकट करते हैं और हमें उनके महत्वपूर्ण रूपों की ओर मोड़ते हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कुछ प्रमुख नामों के बारे में जो भगवान शिव को संदर्भित करते हैं और उनके भक्तों के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

1. महादेव

महादेव का अर्थ होता है महान ईश्वरीय शक्ति। यह नाम भगवान शिव के महत्वपूर्ण गुणों को दर्शाता है, जो ब्रह्मांड के महान निर्माता और संहारक हैं। शिव को महादेव के रूप में पूजा जाता है जो सबके प्रति करुणामय होते हैं और सभी के दुःखों का निवारण करते हैं।

2. भोलेनाथ

भोलेनाथ का अर्थ होता है कोमल हृदय, दयालु व आसानी से माफ करने वालों में अग्रणी। यह नाम शिव की महान कृपा और सहानुभूति को प्रकट करता है। भगवान शंकर को भोलेनाथ कहने से जाता है कि वे आसानी से किसी के भी प्रार्थना को सुनते हैं और उनके भक्तों के दुःखों का निवारण करते हैं।

3. महाकाल

महाकाल का अर्थ होता है समय के देवता, यह भगवान शिव का एक विशेष रूप है जो ब्राह्मण के समय के आयामों को नियंत्रित करते हैं। महाकाल के रूप में भगवान शिव का दर्शन करने से हमें समय के महत्व की समझ मिलती है और हमें याद दिलाते हैं कि समय हमारे जीवन का मूल अंश है।

4. रूद्र

रूद्र से अभिप्राय जो दुखों का निर्माण व नाश करता है। यह नाम भगवान शिव के भयंकर रूप को दर्शाता है, जो सृष्टि का संहार करते समय भयंकर होते हैं। रूद्र का ध्यान करने से हमें जीवन के सुख और दुख की अनिवार्यता की समझ मिलती है।

5. पशुपतिनाथ

पशुपतिनाथ नाम भगवान शिव को पशुओं के स्वामी के रूप में पुकारा जाता है। इससे हमें शिव के द्वारा प्राकृतिक जीवों के प्रति की गहरी स्नेहभावना का प्रतीक मिलता है। वे सम्पूर्ण प्राणियों के पालनहार हैं और उनकी रक्षा करते हैं।

6. अर्धनारीश्वर

अर्धनारीश्वर नाम शिव और शक्ति के मिलन को प्रस्तुत करता है, जिससे शिव की अद्वितीयता और सहानुभूति का सन्देश मिलता है। इस नाम से हमें पुरुष और प्रकृति के संगम की महत्वपूर्ण भावना का अनुभव होता है।

7. लिंगम

लिंगम पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक होता है और शिव के अद्वितीय रूप को प्रकट करता है। यह नाम शिव के शक्ति और प्राकृतिक जगत के संरक्षण के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

8. नटराज

नटराज को नृत्य का देवता माना जाता है क्योंकि भगवान शिव तांडव नृत्य के प्रेमी हैं। उनका नृत्य ब्रह्मांड की सृष्टि और प्रलय की अद्वितीयता को प्रकट करता है।

Shiv शिव: देवोका देव महादेव
Shiv शिव: देवोका देव महादेव

इन नामों से हमें भगवान शिव के महत्वपूर्ण रूपों का ज्ञान मिलता है, जो उनकी दिव्यता और भक्तों के प्रति उनकी अद्वितीय स्नेहभावना को प्रकट करते हैं। यह नाम हमें शिव के गुणों, शक्तियों और महत्व के प्रति शिक्षा देते हैं, और भक्तिमार्ग पर आगे बढ़ने का मार्ग प्रदान करते हैं।

बारह ज्योतिर्लिंग

पुराणों के हिसाब से Shiv शिव जहां-जहां प्रकट हुए हैं, वहां-वहां उनका स्वरुप वास करता है और उसे ज्योतिर्लिंग कहते हैं। ये संख्या में बारह हैं, जिनका विवरण निम्न है:

  1. सोमनाथ, गुजरात: सौराष्ट्र गुजरात में स्थित यह ज्योतिर्लिंग इतिहास में कई बार खंडित किया गया है, लेकिन इसकी महत्ता अपूर्व है।
  2. मल्लिकार्जुन, श्रीशैल, आंध्र प्रदेश: दक्षिण के कैलाश के नाम से मशहूर यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर विराजमान है।
  3. महाकाल, उज्जैन, मध्य प्रदेश: यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है और पवित्र नगरी उज्जैन का मुख्य आकर्षण है।
  4. ओंकार/मामलेश्वर, ओंकार, मध्य प्रदेश: यह नर्मदा नदी के तट पर विराजमान है और ओंकारेश्वर और मामलेश्वर दो ज्योतिर्लिंग हैं, लेकिन ये दोनो एक लिंग के दो रुप हैं।
  5. केदारनाथ, उत्तराखंड: केदारनाथ हिमालय की गोद में स्थित है और उसके पूर्व में अलकनंदा नदी के तट पर बदरीनाथ धाम भी है।
  6. भीमाशंकर, महाराष्ट्र: इस ज्योतिर्लिंग को लेकर अनेक लोक कथाएं प्रचलित हैं। यह महाराष्ट्र में सह्याद्रि पर्वत पर विद्यमान है।
  7. विश्वेश्वर महादेव/काशी विश्वनाथ, काशी, उत्तर प्रदेश: काशी की शान विश्वेश्वर महादेव पूरे उत्तर भारत की धरोहर है।
  8. त्र्यंबकेश्वर, नासिक, महाराष्ट्र: त्र्यंबकेश्वर महादेव नासिक जिले से कुछ दूरी पर स्थित है और गोदावरी का उद्गम स्थल भी है।
  9. वैद्यनाथ, देवघर, झारखंड: वैद्यनाथधाम के नाम से प्रसिध्द शिव जी का यह ज्योतिर्लिंग झारखंड (पहले बिहार) में पड़ता है।
  10. नागेश्वर, द्वारका, गुजरात: यह मंदिर गुजरात के द्वारका में स्थित है और नागों का ईश्वर होता है।
  11. रामेश्वरम्, तमिलनाडू: इस स्थान को हिन्दुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।
  12. घृष्णेश्वर, महाराष्ट्र: यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट ही दौलताबाद है।

निष्कर्ष

Shiv शिव महा कल्याण कारी है। वो तो केवल एक लोटे जल से ही खुश हो जाते हैं। शिव आदिदेव है। शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं। वो तो भोले नाथ है, जो भक्त उन्हे डंडे से मारता है, उससे भी खुश हो जाते है। जहां वो एक ओर महायोगी है, वहीं दूसरी तरफ माता पार्वती से प्रेम विवाह भी किया है। जब भी किसी जोड़े को आशीर्वाद दिया जाता है, तो उन्हें शिव-पार्वती की उपमा से ही सुशोभित किया जाता है।

इस आदित्य शिव-शक्ति के अनुभव के साथ, हम शिव के महत्त्वपूर्ण ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर जा सकते हैं, जो हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन स्थलों पर जाकर हम शिव के ध्यान में रत रहकर अपने मानसिक और आत्मिक शांति का अनुभव कर सकते हैं।

इसके अलावा, यह ज्ञात होता है कि जब भी बारह ज्योतिर्लिंगों का दर्शन किया जाता है, वहां के दर्शनार्थी शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और उनके जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करने से हमारे मानसिक और आत्मिक विकास को भी एक महत्वपूर्ण धारणा मिलती है कि हम सभी जीवों में दिव्यता होती है और हम सभी एक ही आदित्य शिव-शक्ति के हिस्से हैं।

आखिर में,

Shiv शिव और उनकी शक्ति पार्वती का प्रेम एक अद्वितीय प्रेम कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि प्रेम में समानता, समरसता, और सहयोग होना चाहिए। इस प्रेम की उपमा नए जोड़े को उनके जीवन की आगाज में साथी के रूप में साझा करती है, जिससे वे अपने साथी के साथ समृद्ध और सुखमय जीवन का आनंद उठा सकते हैं।

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