Hanuman Bisa Paath (श्री हनुमद् बीसा)
Hanuman Bisa: हनुमद बीसा, जिसमें 20 चौपाईयाँ होती हैं, हनुमान जी को प्रसन्न करने का एक अत्यंत सरल और प्रभावी उपाय है। यह पाठ न केवल सरल है, बल्कि भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी भी है। हनुमान जी इस पाठ के द्वारा शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी समस्याओं का समाधान कर देते हैं।
श्री हनुमद बीसा की रचना परम हनुमान भक्त श्री यशपाल जी द्वारा की गई थी। यह एक अत्यंत विशिष्ट और महत्वपूर्ण हनुमान चौपाई है, जिसका पाठ करने से भक्त को आत्मिक शांति और मानसिक बल प्राप्त होता है। हनुमद बीसा की खासियत यह है कि इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा बहुत ही सरलता से पढ़ा और समझा जा सकता है।
यह पाठ नियमित रूप से करने से भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं, संकटों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। हनुमद बीसा का पाठ जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ करते हैं, उन्हें हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इसलिए, हनुमद बीसा का पाठ करना हर हनुमान भक्त के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह पाठ न केवल व्यक्ति को बाहरी संकटों से बचाता है, बल्कि आंतरिक शांति और मनोबल भी प्रदान करता है।
यह हनुमान जी की स्तुति का एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली माध्यम है, जिससे भक्त अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव कर सकता है।
Hanuman Bisa Paath का पाठ कैसे करें?
बजरंगबली श्री हनुमान जी के परम भक्त श्री यशपाल जी द्वारा रचित श्री हनुमद् बीसा एक पवित्र, सरल और अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है। यह मंत्र न केवल भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है, बल्कि जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में भी सहायक है।
श्री हनुमद् बीसा का पाठ अत्यंत शुद्ध मन से, हनुमान जी पर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। जब भक्त पूर्ण भक्ति और समर्पण के साथ इसका पाठ करते हैं, तो हनुमान जी अवश्य प्रसन्न होते हैं और उनके सभी कष्टों को हर लेते हैं।
Hanuman Bisa Paath का पाठ कब करें?
हनुमान भक्त किसी भी दिन इस पवित्र पाठ का जाप कर सकते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। अगर आप 21 दिनों तक लगातार रोजाना 7 बार हनुमद् बीसा का पाठ पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ करते हैं, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और हनुमान जी की कृपा आप पर बनी रहेगी।
Hanuman Bisa Paath से पूर्व क्या करें?
पाठ करने से पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें। इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर पूरी श्रद्धा के साथ हनुमद् बीसा का जाप करें। ध्यान रहे कि पाठ के समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। हनुमान जी को सिंदूर, लाल चंदन और पुष्प चढ़ाकर उनकी पूजा करें और अंत में नैवेद्य का भोग लगाएं। यदि आप किसी हनुमान मंदिर में जाकर इस पाठ को करते हैं, तो इसका फल और भी अधिक शुभ होता है।
Hanuman Bisa Paath के लाभ
1. संकटों का समाधान: हनुमद् बीसा के पाठ से हनुमान जी प्रसन्न होकर भक्तों के सभी प्रकार के संकटों का समाधान करते हैं।
2. नकारात्मक शक्तियों से बचाव: यह पाठ नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है और भक्त के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखता है।
3. स्वास्थ्य लाभ: हनुमद् बीसा के नियमित पाठ से रोग और बीमारियों से बचाव होता है।
4. सुख-शांति का वास: घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
5. भय का नाश: इस पाठ से भक्त के समस्त भय और आशंकाओं का हनुमान जी नाश कर देते हैं।
6. आशीर्वाद: हनुमान जी की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है, जिससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
हनुमान जी की कृपा से आप पर सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।
Hanuman Bisa Paath
|| हनुमत् बीसा ||
|| दोहा ||
राम भक्त विनती करूँ,सुन लो मेरी बात ।
दया करो कुछ मेहर उपाओ, सिर पर रखो हाथ ।।
|| चौपाई ||
जय हनुमन्त, जय तेरा बीसा,कालनेमि को जैसे खींचा ।।१॥
करुणा पर दो कान हमारो,शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।२॥
राम भक्त जय जय हनुमन्ता, लंका को थे किये विध्वंसा ।।३
सीता खोज खबर तुम लाए, अजर अमर के आशीष पाए ।।४॥
लक्ष्मण प्राण विधाता हो तुम,राम के अतिशय पासा हो तुम ।।५॥
जिस पर होते तुम अनुकूला, वह रहता पतझड़ में फूला ।।६॥
राम भक्त तुम मेरी आशा, तुम्हें ध्याऊँ मैं दिन राता ।।७॥
आकर मेरे काज संवारो, शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।८॥
तुम्हरी दया से हम चलते हैं, लोग न जाने क्यों जलते हैं ।।९॥
भक्त जनों के संकट टारे, राम द्वार के हो रखवारे ।।१०॥
मेरे संकट दूर हटा दो, द्विविधा मेरी तुरन्त मिटा दो ।।११॥
रुद्रावतार हो मेरे स्वामी, तुम्हरे जैसा कोई नाहीं ।।१२॥
ॐ हनु हनु हनुमन्त का बीसा, बैरिहु मारु जगत के ईशा ।।१३॥
तुम्हरो नाम जहाँ पढ़ जावे, बैरि व्याधि न नेरे आवे ।।१४॥
तुम्हरा नाम जगत सुखदाता, खुल जाता है राम दरवाजा ।।१५॥
संकट मोचन प्रभु हमारो, भूत प्रेत पिशाच को मारो ।।१६॥
अंजनी पुत्र नाम हनुमन्ता, सर्व जगत बजता है डंका ।।१७॥
सर्व व्याधि नष्ट जो जावे, हनुमद् बीसा जो कह पावे ।।१८॥
संकट एक न रहता उसको, हं हं हनुमंत कहता नर जो ।।१९॥
ह्रीं हनुमंते नमः जो कहता,उससे तो दुख दूर ही रहता ।।२०॥
|| दोहा ||
मेरे राम भक्त हनुमन्ता, कर दो बेड़ा पार ।
हूँ दीन मलीन कुलीन बड़ा, कर लो मुझे स्वीकार ।।
राम लषन सीता सहित, करो मेरा कल्याण ।
ताप हरो तुम मेरे स्वामी, बना रहे सम्मान ।।
प्रभु राम जी माता जानकी जी, सदा हों सहाई ।
संकट पड़ा यशपाल पे, तभी आवाज लगाई ।।