Durga Puja, 2023 में कब है।
Durga Puja, 2023: दुर्गा पूजा, हिंदू कैलेंडर के सातवें महीने अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के महीने में 10 दिनों के लिए आयोजित किया जाने वाला हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार विशेष रूप से बंगाल, असम और अन्य पूर्वी भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा देवी दुर्गा की विजय का जश्न मनाता है, जब वह राक्षस राजा महिषासुर पर विजयी बनी थी।
नवरात्रि और दुर्गा पूजा:
दुर्गा पूजा नवरात्रि के एक हिस्से के रूप में मनाया जाता है, जो कई उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में नौ रातों का त्योहार होता है। नवरात्रि दिव्य स्त्री शक्ति का उत्सव माना जाता है और यह समय हिंदू धर्म में भक्ति और उपासना का होता है।
Durga Puja का महत्व:
दुर्गा पूजा हिंदुओं के लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह परिवार और दोस्तों के मिलने जुलने का समय भी है। इसके साथ ही यह सांस्कृतिक मूल्यों और रीति-रिवाजों के समारोह का भी हिस्सा है।
Durga Puja, 2023: त्योहार की विशेष जानकारी:
- त्योहार का नाम: दुर्गा पूजा
- शुरुवात तारीख: 15 अक्टूबर
- अंतिम तारीख: 24 अक्टूबर
- अवधि: 10 दिन
- महत्व: देवी दुर्गा की पूजा, अच्छाई की विजय
- धार्मिक महत्व: देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय की स्मृति
- जश्न: विस्तारपूर्ण सजावट, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य
Durga Puja का आयोजन:
दुर्गा पूजा के समारोह स्थान, रीति-रिवाजों और मान्यताओं के आधार पर भिन्न होते हैं। त्योहार के दिनों की संख्या भी विभिन्न होती है, जैसे कि कहीं पांच दिन, कहीं सात और कहीं पूरे दस दिन के रूप में। त्योहार का उत्साह ‘षष्ठी’ से शुरू होता है और ‘विजयादशमी’ – दसवें दिन पर समाप्त होता है।
Durga Puja की कहानी:
देवी दुर्गा राजा हिमालय और मेनका की पुत्री थीं और उनका नाम सती था। सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। इसके बाद, भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी, और दुर्गा पूजा का पर्व इसी अवसर पर आया था।
दुर्गा पूजा के दौरान, विशेष पूजा पंडाल में सजाया जाता है और मूर्तियों की स्थापना की जाती है। अंत में, देवी की मूर्ति को पवित्र गंगा नदी या किसी अन्य नदी में विसर्जित किया जाता है।
Durga Puja का संदेश:
दुर्गा पूजा हमें बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का सम्मान करने के लिए याद दिलाता है। इसके साथ ही, यह त्योहार हमें दिखाता है कि अच्छाई की विजय हमेशा होती है। इसके अलावा, दुर्गा पूजा का महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि यह हमें देवी दुर्गा के योग्यता और बल की प्रतिक्रिया करता है, जिन्होंने राक्षस महिषासुर को पराजित किया था।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर:
दुर्गा पूजा न केवल हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों का भी हिस्सा है। इसमें देवी दुर्गा की महिषासुर से युद्ध की कथा की याद की जाती है और विविध सांस्कृतिक त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के द्वारा चर्चा होती है।
इस दिन भक्तिगण पूजा में भाग लेते हैं और अपनी प्रार्थनाओं, विचारों और भक्ति के लिए एक समय निकालते हैं। यह त्योहार विजयदशमी के साथ समाप्त होता है, जो दुर्गा पूजा के दसवें दिन को मनाने के रूप में होता है।
दुर्गा पूजा भारत के सबसे महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें देवी दुर्गा की शक्ति और साहस का संदेश देता है, और हमें याद दिलाता है कि अच्छाई की विजय हमेशा होती है।
सांस्कृतिक मिश्रण:
दुर्गा पूजा न केवल धार्मिक रूप में माना जाता है, बल्कि यह कला, संगीत, और नृत्य का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। समारोहों में शास्त्रीय संगीत, नृत्य, नाटक, और कला प्रदर्शन होते हैं, जो सांस्कृतिक धरोहर को और भी रंगीन बनाते हैं।
दुर्गा पूजा के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान
दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मां दुर्गा की पूजा और उनकी महिमा की महान कथा को स्मरण करता है। दुर्गा पूजा के दौरान कई अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें महालया, प्राण प्रतिष्ठान, और अन्य विशेष रूप से आयोजित अद्भुत अनुष्ठान शामिल हैं। इस लेख में, हम देखेंगे कि दुर्गा पूजा के दौरान कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं और उनका महत्व क्या होता है।
1. महालया का आगमन (प्रथम दिन)
दुर्गा पूजा का उत्सव महालय के समय से शुरू होता है। इस दिन भक्त देवी दुर्गा से पृथ्वी पर आने का अनुरोध करते हैं। महालया का काफी महत्व होता है और यह अमावस्या के दिन मनाया जाता है.
2. पितृपक्ष के साथ महालया (द्वितीय दिन)
पितृपक्ष भी महालया के दिन का आखिरी दिन होता है, और इस दिन पितरों की पूजा की जाती है। हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, महालया और पितृपक्ष अमावस्या एक ही दिन मनाया जाता है।
3. मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण (तृतीया दिन)
महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा की आंखें बनाता है. इसके बाद से मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जाता है।
4. प्राण प्रतिष्ठान (चतुर्थी दिन)
देवी दुर्गा की मूर्ति को स्थापित करने के बाद, वे सप्तमी पर मूर्तियों में उनकी धन्य उपस्थिति को बढ़ाने के लिए ‘प्राण प्रतिष्ठान’ अनुष्ठान करते हैं।
5. नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शन (पंचमी से सप्तमी तक)
त्योहार के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के मंत्र तथा आरती करके पूजा करते है और कई अलग-अलग रूपों में उनकी पूजा करते हैं। शाम के बाद आठवें दिन आरती की रस्म की जाती है, जो धार्मिक लोक नृत्य की परंपरा है जो देवी के सामने उन्हें प्रसन्न करने के लिए की जाती है।
6. महाआरती और पूजा पूरी (अष्टमी दिन)
नौवें दिन, महाआरती के साथ पूजा पूरी होती है। यह प्रमुख अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं के अंत का प्रतीक है।
7. दुर्गा विसर्जन (नौवें दिन)
त्योहार के अंतिम दिन, देवी दुर्गा अपने पति के घर वापस चली जाती हैं और उनकी मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के लिए ले जाया जाता है। विवाहित महिलाएं देवी को लाल सिंदूर चढ़ाती हैं और इस सिंदूर से खुद को और अपनी सहेलियों या रिश्तदारों लगाती हैं।
कार्यस्थलों का बंद होना
दुर्गा पूजा का त्यौहार लोग अपनी जाति और वित्तीय स्थिति के अनुसार इस त्योहार को मनाते हैं और इसका आनंद लेते हैं। कई स्थानों पर कार्यस्थल, शैक्षणिक संस्थान और व्यावसायिक स्थान दुर्गा पूजा के दिनों में बंद रहते हैं।
अंतरराष्ट्रीय महत्व
दुर्गा पूजा भारतीय समुदायों के बाहर भी मनाई जाती है, और कई गैर-आवासीय बंगाली संगठन दुनियाभर में इसका आयोजन करते हैं।
अच्छाई की जीत का संदेश
इस विशेष पर्व को मनाने के अवसर पर, हम सभी को मिलकर दुर्गा माँ की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। दुर्गा पूजा हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है, और हमें याद दिलाता है कि अच्छाई की विजय हमेशा होती है।
माँ दुर्गा (Durga Puja, 2023) के नौ रूप की पूजा और तिथि:
दिनांक | मां दुर्गा के नौ रूप की पूजा और तिथि |
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15 अक्टूबर 2023 | मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि / कलश स्थापना |
16 अक्टूबर 2023 | मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीय तिथि |
17 अक्टूबर 2023 | मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि |
18 अक्टूबर 2023 | मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि |
19 अक्टूबर 2023 | मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि |
20 अक्टूबर 2023 | मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि |
21 अक्टूबर 2023 | मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि |
22 अक्टूबर 2023 | मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी |
23 अक्टूबर 2023 | महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण |
24 अक्टूबर 2023 | मां दुर्गा विसर्जन, विजयदशमी तिथि (दशहरा) |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
दुर्गा पूजा कब मनाई जाती है?
दुर्गा पूजा अश्विन मास के दस दिनों के अवसर पर मनाई जाती है, जिसमें विजयदशमी शामिल है।
दुर्गा पूजा के दौरान कैसे पूजा की जाती है?
दुर्गा पूजा के दौरान, भक्त देवी दुर्गा के मंत्र जपकर और आरती करके पूजा करते हैं और उनकी मूर्तियों का दर्शन करते हैं।
दुर्गा पूजा के दौरान खाद्य-पीने का महत्व क्या है?
दुर्गा पूजा के दौरान, स्वादिष्ट पारंपरिक भोजन और मिठाइयों का सेवन करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो त्योहार के सांस्कृतिक माहौल को और भी अधिक महकता है।
दुर्गा पूजा कहां-कहां मनाई जाती है?
दुर्गा पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में, जैसे कि कोलकाता, पटना, मुंबई, जमशेदपुर, गुवाहाटी, और अन्य जगहों पर मनाई जाती है, साथ ही कई अन्य देशों में भी मनाई जाती है।
क्या दुर्गा पूजा का अंतरराष्ट्रीय महत्व है?
हां, दुर्गा पूजा का अंतरराष्ट्रीय महत्व है, और कई गैर-आवासीय बंगाली संगठन दुनियाभर में इसका आयोजन करते हैं, जो भारतीय संस्कृति को बाहर ले जाते हैं।
इस प्रकार, दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मां दुर्गा की पूजा और महिमा को मनाने का अद्वितीय तरीका है, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
आप अब इस त्योहार के महत्व को समझते हैं और इसके दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों का पर्व और महत्व समझते हैं। दुर्गा पूजा के इस अनूठे त्योहार को मनाने से हमारे जीवन में आनंद और सफलता आती है।
इस विशेष पर्व को मनाने के अवसर पर, हम सभी को मिलकर दुर्गा माँ की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
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